A Letter to viewer

      पाठकों के नाम संदेश                                                 

                                                                                                                                दिनांक-१५/०८/२०१९

                                                                                                                                             
प्रिये पाठकों ,
स्वतंत्रता दिवस के शुभ अवसर पर onlinesciencebaba की पूरी टीम आपको हार्दिक बधाई देती है।
मित्रों जैसा की आप सभी जानते हैं की onlinesciencebaba में सिर्फ अंग्रेजी भाषा की पोस्ट आती है चुकि भारतीय स्वतंत्रता के इस अवसर पर आज की पोस्ट भारतीय राजभाषा हिंदी भाषा में आ रही है। इसके लिए गैर हिंदी भाषी लोगों से क्षमाप्रार्थी हूँ।
                         मित्रों आज का दिन वाकई जश्न मनाने का है।  बेशक आजादी के इतने सालों बाद सभी समस्याओं का समाधान नहीं हो सका है पर जितना हो सका है ये भी कोई कम है क्या ?
                        मित्रों सबसे बड़ा सवाल ये है की आजादी है क्या ?
तो आप लोगों को ये पता होना चाहिए की सत्ता स्थान्तरण कदापि आजादी नहीं है क्योकि भारत में ये हर पांच साल में (कुछ विषम परिस्थितियों को छोड़कर ) होता है।
अच्छे सुख सुविधा का मिलना भी आजादी नहीं है क्योंकि अंग्रेजी सत्ता के दौरान भी कई राज रियासत के लोगों को अच्छी सुविधा मिल रही थी।
उन्हीं के शासन कल में भारत में रेलवे का प्रारम्भ हुआ।
तो क्या विदेशी सत्ता का छोड़कर जाना आजादी है?
जवाब है नहीं क्योंकि भारत पर कई विदेशी शासको का शासन हुआ तो क्या उनका सत्ता छोड़ जाने के दिवस को हम स्वतंत्रता दिवस की तरह मना सकते हैं? (मुगल भी विदेशी ही थे)

हमारे मायने में क्षमता के अनुसार सम्मान का मिलाना ही सच्ची आजादी है।  क्योंकि व्यवस्थाएं हमेशा बदलती रहेंगी सत्ता स्थान्तरण भी होता रहेगा  पर सक्षम लोगों के अवसर को जिस भी कालखंड में छिना जायेगा। उस कालखंड को हम गुलामी का युग कह सकते हैं और हर उस कालखंड में आजादी के लिए आंदोलन  भी होते रहेंगे।
मित्रो आप सबों को पता  है की अंग्रेजी सत्ता के दौरान शासन प्रशासन के  बड़े पदों पर सिर्फ ब्रिटेन के लोग ही बैठ सकते थे। हम भारतीय की योग्यता के कोई मायने नहीं रह गई थी।  समस्या यहाँ तक आ गई थी की कुछ भारतीय अच्छी आर्थिक स्थिति के बाबजूद अच्छी सुविधाओं से वंचित रह गए थे।
           
                किसी भी राष्ट्र में आम जनमानस राजनैतिक स्थितियों में ज्यादा रूचि नहीं रखते है। किंतु अगर कोई राष्ट्र रूचि रखने वाले लोगों को राजनीति में आने से रोकता है तो वो राष्ट्र आम जनमानस की भावनाओं के  साथ खेल रहा है। ये भावना ही आंदोलन का रूप लेती है।
हालाँकि ये बात सिर्फ राजनीति पर ही लागु नहीं होती है ये बात कला, संस्कृति, विज्ञान आदि पर भी लागु होती है।
                              अवसर का नहीं मिलाना भी गुलामी का प्रतीक है। कई बार लोगों को आर्थिक अथवा किसी अन्य कारण की वजह से किसी को अयोग्य बताकर उनके अवसरों को छीनना भी लोगों को गुलाम बनाने के जैसा ही है। एक आजाद राष्ट्र में कभी किसी व्यक्ति के अवसरों नहीं छिना जा सकता है।
                      मित्रों हमारे देश में आज भी कई सारे लोग गटर में उतर उनकी सफाई करते है उनमें से कई की जान भी चली जाती है जो वाकई १२१ करोड़ देशवासियों के लिए शर्म की बात है। दोस्तों इन गटरों में आपके घरों की गन्दगी बहती है। एक आजाद राष्ट्र में आजादी के ७० वर्ष बाद भी अगर ये हो रहा है तो रुकिए और सोचिए क्या ये सही है।  हम  अपनी थोथले तर्कों से इन घटनाओं को को कैसे सही साबित करेंगे।
                        खैर ये देश बहुत बड़ा है और वो कहते है न बड़े बड़े देशो में छोटी छोटी बातें होती रहती है। समस्याएं तो है पर हमने समस्याओं पर सफलता भी पाई है उन्हीं सफलताओं को याद कर हम सभी अपनी स्वतंत्रता का जश्न मानते हैं।तथा अपने महापुरुषों का आभार प्रकट करते है।
                        चलिए हम तो चले अपनी पसंदीदा मिठाई जलेबी का स्वाद चखने  आशा करता हूँ की ईश्वर आप सबों के जीवन में जलेबी की तरह ही मिठास भर दे।

           
                                                                                           जय हिन्द
                                                                                          आपके प्यारे
                                                                                        अभिषेक भईया 
                                                                                                     
                                                                                                                          (ई-पत्र  में हस्ताक्षर आवश्यक नहीं होता है। )

Comments